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चाहत

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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chahat


जिसे चाहा नहीं ज़माने में मिल जाती है,

जुस्तजू हो जिसकी अक्सर मिला नहीं करते.

अभी पी ले जितनी पीनी हो, जान बाकी है.

कभी साँसों पे भरोसा किया नहीं करते.

पूछ ले किसी अपनों से, राह किसकी है

अजनबी की बातो पे, यूँ जाया नहीं करते.

ढूंढ़ ले जिसे ढूंढ़ना हो, अभी मैं भी हूँ.

यूँ शाम ढलने पे तनहा, फिरा नहीं करते.

मुझसे है तू खफा, पर खुद से ना होना कभी.

दिल की बातें औरों से. कहा नहीं करते.

मिल लेना कभी गैरों की तरह ही, आऊं जो कभी.

ऐसी मोहब्बत यूँ ही, भुलाया नहीं करते.

girls

लगा लो अपनी खिदमत में, कि इन जुल्फों को सवारूँ,
आप कह दो तो एक कली, इन बालों में सजा दूँ.
ये अल्हड सी हवा है जो, आँचल उड़ा देती है.
ये जहाँ देख न ले, चलिए छुप जाए, फिर पर्दा मैं लगा दूँ.
रखिये नज़रो को झुकाकर, यहाँ बहक न जाए कोई,
देखना जो जरुरी हो तो कहिये, नकाब तो गिरा दूँ.
रहिये चिलमन में और रखिये खुद को चराग तले,
अदा देख न ले चाँद कहीं, कहिये तो शमां बुझा दूँ.
आप है तो बीच में कोई, ख्वाब भी न आये,
छोटी रात में लम्बी सी कहानी, कहिये तो सुना दूँ.

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