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तुम न होती तो कैसा होता,
न तुम मुझे डांटती, न तुम मुझे मारती,
न तुम इस बात पे झाड़ू उठाती,
न तुम उस बात पे बेलन दिखाती,
तुम न होती तो ऐसा न होता,
तुम न होती तो वैसा न होता,
मैं और मेरी तन्हाई, अक्सर ये बाते करते है.
है चांदनी या तुम्हारे दोनों बड़ी-बड़ी आँखें दहक रही है.
ये चाँद है. या तुम्हारा चिमटा, चेहरा है या सुबह का सूरज,
ये तुम, तुम हो या डब्ल्यू डब्ल्यू ऍफ़ का फाइटर,
ये है बादलो की गरगराहट, या चुपके से तुमने कुछ कहा है.
ये सोचता हूँ मैं कब से गुमसुम, जबकि मुझको भी ये खबर है.
कि तुम यही हो यही कहीं हो,
मगर ये दिल है कि कह रहा है तुम नहीं हो, कहीं नहीं हो.
टेंशन कि एक रात इधर भी है, उधर भी
कहने को तो बहुत कुछ है, मगर किससे कहें हम,
कब तक यूँ ही लड़ते रहे और सहे हम
दिल कहता है एक सल्फास कि गोली हम दोनों खा ले
टेंशन जो हम दोनों में है, आज मिटा दे,
क्यों रोज-के-रोज पिटते है, लोगों को बता दें,
कि हाँ हमको मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
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