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हर मोड पर

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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ढूँढता रहा एक हमसफर हर मोड पर

देता रहा कुर्बानियाँ अपने अरमानो की हर मोड पर

मिला कुछ भी नही सिवाय एक बवंडर के

उसी हुजूम में समाता रहा मैं हर मोड पर

सोचता था कोई तो होगा सहारा मेरा

जो भी मिला चलना सिखाया मैंने उसे हर मोड पर

जुर्म शायद कुछ भी न था मेरा

जुर्म इतना था कि जुर्म सहता गया हर मोड पर

कितने कसमे वादे होंगे गिनती नही

गर्दिश में हूँ वो आयेगा, याद करता मै उसे हर मोड पर

न हुये एक भी लम्हे खुशी के मयस्सर

अब चाहत है इतनी कि बाँधू सर पे कफन मै हर मोड पर

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