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वतन के शहीदों

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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ऐ वतन के शहीदों तेरा क्या वास्ता जिन्दगी से

क्या होता तुझे है वतन पे शहीद होने से

तेरी जिन्दगी का क्या कोई मोल नहीं

बकरा बलि का जिसका कोई तौल नही

अपने जज़्बे को दिखाता है क्यों इतना

क्या मोहब्बत है तुझको अपने वतन से

मरता है जिसके लिये तू, उसके आँखों में पानी नही

पढकर सुर्खियों में अखबारों की

कहते चलो अपनी कोई बर्बादी नही

स्वार्थो में जी रही है दुनिया

और तुझे क्या रिश्ता है ऐसे जलीलो से

घर की भेदी जो लंका जलाये, पहले तु उसको जलाओ

जिनके आँखों में पानी नही उसे

शहीदो की गाथा सुनाओ

ऐ मरकर भी जीने वाले

तुझे क्या रिश्ता है ऐसे मौतो से

हँसते-हँसते वो सूली पे चढ गये

तुझको हँसता हुआ चमन वो दे गये

उनकी यादों में आज थोडी आँखें नम कर ले

उनकी आत्मा न रोये ऐसा ही कुछ कर ले

क्यों खफा है तू उनके मज़ारों पे नमन करने से

उनकी भी क्या खता है
जो उनसे तू खफा है
शहीद हो गये वो तेरे लिये, और तू भूल गया
क्या यही तेरी वफा है
उन्हें जोड ले तू अपने भाई के रिश्तों से

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