भले ही हमारे देश के कुछ शहीदों और नेताओ की वजह से ये देश काग़जी रूप से आज़ाद हो गया हो, परंतु सच पूछिये तो इस देश का एक आम नागरिक इस आज़ादी के स्वाद से अब भी अनभिज्ञ है, जबकि इस देश को आज़ाद हुये 63 साल बीत चुके है……………………….. एक आम इंसान जब अपने जीवन के किसी भी हिस्से की ओर कदम बढाने जाता है तो खुद को वह आज़ाद महसूस नही करता है, क्यों ?
एक छोटे से काम के लिये चाहे दिन हो या रात जब एक आदमी घर से बाहर निकलता है तो उसके अन्दर एक डर होता है जब तक की वो सही सलामत वापस घर नही पहुँच जाता, क्यों ? क्या ये आजादी है ?
एक आम इंसान जब अपने बच्चों को डाँक्टर या इंजीनियर बनाने की सोचता है तो उसका सपना तब चूर-चूर हो जाता है जब उसे पता चलता है कि चारों तरफ रिश्वतखोरी और डिग्रियों का कारोबार चल रहा है । सरकार की गलत नीतियों की वजह से गरीब के होनहार लडके को मजबूरन खेती-बाडी और छोटे-मोटे धंधे से अपना पेट भरना पडता है, वहीं किसी नेता या अफसर का बदमाश और बद्चलन लड्का पैसे के जोड पर अच्छे कालेज में पढ्कर भी कुछ नहीं कर पाता, क्यों ?
हिन्दुस्तान जैसे देश में अगर कोई हिन्दी में भाषण या किसी मीटिंग में हिन्दी में बोलता है तो लोग उसे हेय की दृष्टि से देखते है. क्यों? आज हर वो स्कूल, कॉलेज जिसमे सभी विषय अंग्रेजी में पढाये जाते है उस कॉलेज व स्कूल को अच्छा माना जाता है । कही-कही तो हिन्दी बोलने पर जुर्माना भी देना पडता है । हिन्दी बोलने पर जुर्माना, वो भी हिन्दुस्तान में, क्या बात है…… हंसी आती है ऐसे देश और ऐसी नीतियों पर, केवल तिरंगा फहराने से ही देशवासी, देशभक्त, नेता और मंत्री कहलाते है यहाँ, ऐसा देश है हमारा भारत !!! और हमारी आजादी ।
सरकार की नीतियॉ ऐसी है– कोई भी काम करने के लिये जब एक बजट बनाया जाता है, तो उसके नाम पर खूब सारा पैसा निकाला जाता है, आम जनता तक पहुँचने से पहले ही सारे नेता अपने-अपने जेब और बैंक भर लेते है, बेचारी जनता को मिलती है कुछ दिनों बाद कि फलां नेता ने घोटाला किया इतने हजार करोड का, बस, जनता सिर्फ ये सब सुनने के लिये होती है, और कानून भी जनता की आँखों में धूल झोंकने के लिये ही तो है, इन नेताओ को भला आज तक किया ही क्या है ये कानून, ये रंगे हाथों पकडे आतंकवादी “कसाब” का ही आज तक कुछ न कर पायी है तो भला इन नेताओ को क्या कर पायेगी, क्योंकि ये कानून जानती है कि मैं इन्हीं नेताओ द्वारा पैदा किया जाता हूँ। ये ही तो हमारे माँ-बाप है। और माँ-बाप की कद्र कैसे की जाती है ये तो भारत में लगभग सब जानते है।
एक और बात देखिये इन हरामजादे मंत्रियों से एक खेल का स्टेडियम नही बनाया गया, इसमें भी घोटाला कर बैठे, छी… छी… छी….. लेकिन सरकार की नीतियों को देखिये कि इन घोटाले करने वाले मंत्रियों को भी ये कुछ नही कर सकते है। ज्यादा से ज्यादा ये मंत्री अदालत के कुछ चक्कर लगायेंगे बस, कुछ ही दिनों मे जनता सब भूल जायेगी, फिर किसको मतलब है कि अदालत मे उसकी फाइल आगे बढाये, कुछ रिश्वत देकर वो मंत्री उस फाइल को और दबा देते है बस हो गयी अदालत, कानून, और सजा। आम जनता का पैसा ये निकम्मे मंत्री घोटाले करके खाते रहते है और एक आम जनता भूखमरी, महंगाई और बेरोजगारी से परेशान अपना और अपने बच्चों का पेट भरने के लिये गर्मी हो या सर्दी, खून-पसीना एक किये रहते है, और इन मंत्री, अफसरो, सरकार और सरकार की नीतियों को जरा भी शर्म नहीं आती आम जनता के खून-पसीने की कमाई को घोटाला करने और चुपचाप गटकने में।
ऐसे देश को भले ही आप आजाद कहे आजादी के नाम पर तिरंगा लहरा ले लेकिन एक आम जनता आज भी आजादी और गुलामी में फर्क नही कर पाती है। इस देश में मंत्रियों और अफसरों के रुप मे जब तक ये कमीने बैठे रहेंगे, तब तक इस देश मे आतंकवादी हमले होते रहेंगे, गली-गली में खून-खराबे होते रहेंगे । अब मुंबई हमले को ही ले लीजिये– आतंकवादी देश में कैसे घुस आये? सरकार की गलत और लचर नीतियों की वजह से। सरकार ये अच्छी तरह जानती है कि आज भी अगर इस पर ठीक से जाँच करें तो उसे जवाब देना मुश्किल हो जायेगा। हमले को रोकने में भी हमारे आम नागरिक या जवान ही मारे जाते है कोई नेता कभी नही मरता क्यों ? क्यों? हमले के बाद भी इन मंत्रियों को और कोई काम नही होता सिवाय अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने के। ये मंत्री सिर्फ देश मे बैठकर जनता का पैसा गटक कर अपना पेट बडा करते रह्ते है और कुछ नही…………। बिना इनके भी ये देश शायद इससे अच्छा ही होता।
तिरंगा लहराकर कहेंगे कि हम भारतीय है बस, यही काम है इनका- परम्परा निभाने की, बस इसी का तनख्वाह मिलता है इन्हे और बोनस मे घोटाले करने का सुनहरा अवसर, मुझे तो लगता है कि पूरा राष्ट्रगान भी इस निठल्ले नेताओ, मंत्रियों और अफसरों को याद नही होगा। और सरकार इन मंत्रियों के लिये अलग से आरक्षण देती है, इन मंत्रियों के बेटे के लिये अलग से स्कूल, कॉलेज होता है, जहाँ अच्छी पढाई और सारी सुख-सुविधाएँ उन्हें मुहैय्या कराई जाती है, और उनका बेटा पढ-लिखकर आवारागर्दी करता फिरता है । मुझे नही लगता कि किसी नेता या मंत्री का बेटा पढ-लिखकर डॉक्टर या इंजीनियर बन कर देश की सेवा की हो । देश की सेवा करने के लिये आखिर मे आता है तो सिर्फ आम आदमी ही चाहे वो किसी रूप मे आये, एक फौजी हो, डॉक्टर हो, इंजीनियर हो या वैज्ञानिक।
सरकार को चाहिये कि आरक्षण बंद करे, किसी के लिये कोई भी आरक्षण न हो चाहे वो महिला हो, पुरूष हो, हिंदू हो, मुसलमान हो, किसी उच्च जाति का हो या निम्न जाति का हो । सब के लिये एक जैसा स्कूल हो, कॉलेज हो वहाँ की पढाई और सुख-सुविधा हो। सभी पाठ्यक्रम हिन्दुस्तानी भाषा मे हो, तब मुझे लगता है कि कुछ ही दिनों मे शिक्षा अपने चरम पर होगा । जब एक ही स्कूल में एक निम्न जाति के बच्चे और एक उच्च जाति बच्चे पढेंगे, तो उसे समान अधिकार कहेंगे। फिर हम उसे आजादी कहेंगे। नही तो आज जैसी स्थिति है ऐसी तो गुलामी में भी थी जहाँ अँग्रेज और अमीर के बच्चो के लिये अलग स्कूल हुआ करता था।
और भी बहुत सारी बातें है जो इन छोटे से लेख में नही लिखी जा सकती आप मेरी भावनाओ को समझते हुये इसमे किये गये प्रश्नों पर अपनी राय जरूर रखेंगे । क्योंकि हो सकता है मेरा अनुभव कम हो…………………
आप सबको आजादी की 63वीं वर्षगाँठ मुबारक
जय हिन्द !!!!!!!!!! जय हिन्दुस्तान !!!!!!!!!!!!!!!!!
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