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सदायें शाम की – Valentine Contest

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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शाम के सॉवलेपन में कोई सदा तो दे

दिन भर के थकन की कोई सुन आह तो ले

 

मौसम के नजाकत की बयां कर दूँ अगर

उनके आने की खबर कोई हमें तो दे

 

शाम गुजरे न बेनूर ख्यालो मे डूबकर

अपने ग़ज़ाले-चश्म की वो दीदार तो दे

 

मयखाने की रविश में पीना है साकी से

सोचता हूँ कोई आकर हमें पिला तो दे

 

बेखुदी बेखबर मे हम पागल न हो जाये कही

दिल-ए-आरजू की कोई हमें दवा तो दे

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 ग़ज़ाले-चश्म- हिरण के बच्चे जैसी आँख

रविश – चलन, सदा – आवाज  

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