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चलना मेरी फ़ितरत मे है

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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चल रहे है इसलिए कि चलना मेरी फ़ितरत मे है
हम चले न थे इसलिए कि जाना कही है ।

क्या पाया था क्या पाया है क्या पाएंगे
पाके फिर हम क्या करेंगे इसे खोना यहीं है ।

जिन्दगी है कुर्बतों और फ़ासलो की डगर
हंसना-रोना है यही पर फिर जाना कही है ।

क्या करे गिला शिकवा हम किसी से
और न कही है मोहब्ब्त, करना यही है ।

क्या होगा इस पल मे यहाँ किसको ख़बर
फिर ये बाते क्यों करे, कि होना यही है ।

करने को कुछ रह न जाये कि अफसोस हो
दिल की करना तुम मुकम्म्ल, मुझे कहना यही है ।

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