BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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मुझे नही
मेरे काम को
चाहते है सब,
वरना –
मुट्ठी भर
मुट्ठी भर मिट्टी हूँ
हवाओं में
बिखर जाउँगा ।
वो काम ही है
जिससे –
एक-दूसरे को
पूछते है,
जानते है,
याद करते है,
फिर पूछेगा कौन मुझे यहाँ
अगर
किसी से करके वादे
फिर
मुकर जाउँगा ।
कर्म को पूजा
जानते है हम,
मगर-
भूल जाता हूँ कर्म
पूजा करके,
फिर किस्मत ने कहाँ
किस्मत को दी
धोखा हमने,
अब कर्म के बिना
पूजा में
क्या लेकर जाउँगा ।
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