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श्मशान कहता है …..

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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जब छोड़ के आते है अपनी दुनिया हर कोई और उन्हें पहुँचाए जाते है अपनों द्वारा श्मशान मे.. सच पूछिये तो खुदा द्वारा दी गयी दुनिया की तमाम बख़शीशो को खोने में दर्द तो सभी को होता है.. मगर इस दर्द का अन्दाज़ा इस बख़शीशो को खोने के बाद ही होता है.. और इस दर्द का एहसास श्मशान मे मौजूद सभी हो होता है.. लेकिन दुःख की बात ये है कि असर श्मशान तक ही रहता है… घर पहुँचते ही सब फिर अपने धन्धे मे मशगुल हो जाते है.. तुच्छ चीजो के पीछे भागने मे….
शमशान मे आए मरहले से शमशान क्या कहता है … पढिये.. मेरी जुबानी ….




मंज़िल थी यही तेरी, अब जाके समझ में आई
शिक़वा करोगे क्या अब, अपने ही जला गये


अपनों के लिए मिटे तुम, अपनों ने तुझको लूटा
अपनों की है ये आदत, अपने ही जला गये


जीवन ने की जफ़ाई, फिर भी मौत ने की वफ़ाई
अपनों ने किए थे वादे, अपने ही जला गये


पाने को बहुत हो भटके, बचने को बहुत छुपे तुम
अपनो के लिए किए सब, अपने ही जला गये


चोरी झूठ व धोखा, क्या-क्या नही किये तुम
जिन अपनों को है जीया, अपने ही जला गये


जो कुछ है तुमने पाया, सबकुछ है अब यही पर
जिसको है अपना समझा, अपने ही जला गये


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