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सरबजीत “शहीद” क्यों ? – Jagran Junction Forum

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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सबसे बड़ा लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष जैसे स्वघोषित शब्द भारत अपने लिए इस्तेमाल करता है लेकिन तत्कालीन भारत को अगर अलोकतांत्रिक और पक्षपातपूर्ण राजनीति करने वाला देश कहा जाए तो इसमे तनिक भी किसी को अतिश्योक्ति नही होना चाहिए। जिस तरह से आज भारत की राजनीति केवल पार्टीगत होकर रह गयी है तो प्रजातंत्र की परिभाषा भी जनता के लिए न होकर अगर पार्टी के लिए हो जाए तो शायद तत्कालीन स्थिति मे तालमेल बैठ पाएगा ।


अगर सरबजीत का ही मामला लिया जाए तो क्या भारत सरकार कभी भी इस मामले में अपनी सक्रियता दिखाई? आज सरकार आनन-फानन मे अपने फायदे व आक्रोश से भरी सरबजीत के परिवार व जनता को शांत करने के लिए सरबजीत के परिवार को करोड़पति बना दिया व उसे “शहीद” का तगमा दे डाला। हम तो ये जानते ही है कि देश की आन, बान व शान बचाने के लिए खुद को कुर्बान कर देने वाले को शहीद कहा जाता है। सरबजीत ने ऐसा क्या किया जिससे उसे शहीद घोषित कर दिया गया। क्या सरबजीत को भारत सरकार की नाकामियो की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी इसलिए उसे शहीद घोषित कर दिया गया। फिर तो और भी जितने भारतीय पाकिस्तानी जेल मे कैद है, भारत सरकार को उन सभी को शहीद घोषित करने की योजना बनानी चाहिये।


मै कोई सरबजीत के खिलाफ नही हूँ मै सरबजीत और उसके परिवार के प्रति सहानुभूति प्रकट करता हूँ। मै सिर्फ भारत सरकार के कार्य करने के तरीको पर सवाल उठा रहा हूँ । भारत सरकार को इतना अवश्य करना चाहिये था कि सरबजीत पर पाकिस्तान मे हुए बम धमाके मे शामिल होने के आरोप की जाँच प्रक्रिया को अपनी जाँच कमिटी बिठाकर पूरी तरह से छानबीन करने के उपरांत कोई कदम उठाती। मेरा तात्पर्य ये है भारत सरकार अपनी जनता के प्रति संवेदनशील नहीं है। सरबजीत एक भारतीय था, अगर वह पाकिस्तान के किसी मामले के आरोप मे उसे फंसाया गया तो भारत सरकार का ये हक़ बनता था कि वो उस मामले की रिपोर्ट पाकिस्तान सरकार से मांगे व खुद भी छानबीन करे। अब जब ये घटना घट गयी तो भारत सरकार सरबजीत को “शहीद” घोषित कर अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लिया । जरा सोचिये अगर सरबजीत एक अमरीकी होता तो क्या अमरीका सरकार वही करती जो आज भारत सरकार कर रही है?


फिर पाकिस्तानी नेताओ व सरकार को भी तो भारत-विरोधी घटनाओ पर राजनीति करके अपनी जनता को खुश कर वोट पाने की मंशा रहती है। लेकिन इसका जबाब भारत को अपनी कूटनीति से देना चाहिए था जो कि विफल रहा। और सरबजीत के साथ जो घटना घटी वो तो पुर्वनियोजित ही कही जा सकती है जैसा की सरबजीत ने कसाब की फाँसी के बाद इसकी आशंका व्यक्त की थी लेकिन फिर भी भारत सरकार के कान पर जूँ तक नही रेंगी। अब भारत सरकार ने सरबजीत को “शहीद” घोषित कर दिया लेकिन अगर पाकिस्तान भी कसाब को “शहीद” घोषित कर दे तो इसमे कोई हैरानी नही होनी चाहिये। कसाब भी पाकिस्तानी था और वह भारत मे आरोपी था। अफज़ल गुरु को आपने भले ही आतंकवादी घोषित करके फाँसी के तख्ते पर लटका दिया हो लेकिन वह एक कश्मीरी था और उसके फाँसी होने के बाद वहाँ की जनता भी आक्रोशित थी … क्या कश्मीर सरकार को उसे भी शहीद घोषित कर देना चाहिए..? अब बदले की आग ने जम्मू के जेल मे बन्द पाकिस्तानी कैदियो मे से एक सनाउल्लाह की हालत वही कर दी गयी है । अब देखना ये है कि क्या पाकिस्तान भी सनाउल्लाह को शहीद घोषित करता है?


घोटाले की बुनियाद पर चल रही हर क्षेत्र मे नाकाम सरकार आज ये भी साबित कर चुकी है कि वो अपनी जनता की भी हिफाजत नही कर सकती। जैसे की अब बलात्कार की घटनाये को ही लीजिये बिल्कुल अब ये आम बात हो गयी है। हर रोज एक-न-एक नई घटनाये सामने आती है और फिर कुछ नही होता। सरकार सिर्फ पीड़ितों को मुआवजा व नौकरी देकर अपनी राजनीति कर लेती है। फिर तो हर पार्टी के नेता अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए बढ़-चढ़कर सहानुभूति और मुआवजे कार्यक्रम मे हिस्सा लेती है। और मुझे तो लगता है कि जनता भी शायद इसी मे खुश रहती है क्योंकि जिंदा रहने पर जो पूरी जिन्दगी मे मेहनत करके जितना नही कमा सकता उसके मरने के बाद सरकार द्वारा दिये गये मुआवजे से उसकी कई पीढ़ियाँ खुशी से जिन्दगी बिताती है। और सरबजीत के परिवार मे भी ऐसा ही हुआ। तो मुझे तो यही लगता है जनता का आक्रोश सिर्फ मुआवजे पाने तक ही सीमित है और सरकार भी खुश रहती है कि उसे कुछ करना नही पड़्ता और भाषण देने के लिए एक और मौका मिल जाता है.. आज सरकार और भारत के नेता, जनता के हर दुख दर्द पे अपनी गन्दी राजनीति करने से बाज नही आती..


तो मेरा सवाल ये है कि क्या सरकार का कार्य सरबजीत को “शहीद” घोषित या मुआवजे की रकम घोषित करके खत्म हो जाता है या फिर कोई सरबजीत जैसे हादसो का शिकार न बन जाये ऐसा कोई ठोस कदम पर योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिये ? या फिर सियासतो के पाटन के बीच मे जनता इसी तरह पिसती रहेगी…

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