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विषयः- हिन्दी ब्लॉगिंग “हिंग्लिश” स्वरूप को अपना रही है। क्या यह हिन्दी के वास्तविक रंग-ढ़ंग को बिगाड़ेगा या इससे हिन्दी को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी?
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जब एक बूढ़ा अपने पीले-पीले दाँतों के फाँक से फफकते हुए पूछता है “अरे भईया यु दिल्ली जाने वाली टरेन कित्ते बजे आवेगी” खिड़की के अंदर से आवाज आती है “बाबा दस बजे आयेगी” बूढ़ा फिर बोला “अच्छा तो ठीक है दो टिकट बनाए दे”, तो इसमें बूढ़े द्वारा प्रयुक्त की गई भाषा को कौन सी भाषा कही जायेगी? मैं तो कहता हूँ जो अपने आप में जितनों को समेट सके वो उतना ही समृद्ध और प्रभावशाली होता है। और हमारी हिन्दी भी एक ऐसी भाषा जो न जाने कितने भाषाओं को अपने साथ लेकर चलती है। जगह-जगह के अलग-अलग क्षेत्रिए भाषाओं के साथ-साथ उर्दू, फारसी और अंग्रेजी का भी समावेश पूरे तसल्ली से जहाँ मिलता है वो सिर्फ बस एक जगह हिन्दी में ही मिलता है। हिन्दी उस गंगा की तरह है जो अपने-आप में सब कुछ समेट कर चुपचाप गंगा बनकर अनवरत बहती रहती है।
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अगर वास्तविक स्वरूप की बात करे तो केवल हिन्दी इस्तेमाल करना बहुत ही कठिन है। अंग्रेजी और उर्दू के इस्तेमाल से हिन्दी सोलह श्रृंगार की हुई दुल्हन सी सजी लगती है। हिंग्लिश का प्रयोग हिन्दी को समृद्ध कर रही है। अंग्रेजी के अक्षरों को हिन्दी में बदलने का सॉफ्टवेयर कम्प्युटर में आकर हिन्दी ब्लॉगिंग में क्रांति ला दिया है। ऐसे हिन्दी को ही हिंग्लिश कहते है जिसके प्रयोग से आज हिन्दी, कम्प्युटर के माध्यम से पूरी दुनिया में व्यापक रूप से फैल रहा है। और ये हिंग्लिश इसके व्यापकता को कभी बिगाड़ नही सकता क्योंकि बिना किसी कठिनाई के हिन्दी के आसान से लेकर कठिन शब्दों को आसानी से लिखने में सक्षम है। और अच्छी बात ये है कि कम्प्युटर में इसे टाईप करने के लिए अंग्रेजी के सामान्य की-बोर्ड से ही टाईप किया जा सकता है। जिसके लिए इंग्लिश के सामान्य ज्ञान की ही जरूरत होती है। हिंगलिश की वजह से आज कम अंग्रेजी जानने वाले हिन्दी में अपनी बात हिन्दी ब्लॉगिंग के माध्यम से पूरी दुनिया को बता रहे है।
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कुछ दशक पहले से ब्लॉगिंग की दुनिया में सिर्फ अंग्रेजी ब्लॉगिंग ही छाया रहा है और आज भी बड़े-बड़े नामी-गिरामी हस्तियाँ अंग्रेजी में ही अपना ब्लॉग लिखकर ख्याती पा रहे है। लेकिन हिंग्लिश के आ जाने से आज हजारों हिन्दी ब्लॉगर ब्लॉगिंग के माध्यम से हिन्दी की व्यापकता को पूरी दुनिया में फैला रहे है। और अपनी उपस्थिति हिन्दी के रूप मे दर्ज करा रहे है। इसमें कोई अतिश्योक्ति नही होनी चाहिये कि हिंग्लिश का आना हिन्दी के लिए सुखद है और इससे हिन्दी का कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं।
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