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एक समझ की दरकार

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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रेलवे क्रॉसिंग……… दोनों तरफ के फाटक लगे हुए है। फाटक के दोनो तरफ छोटी-बड़ी गाड़ियों की लम्बी लाईन लगी हुई है। छोटी-छोटी गाड़ियों जैसे स्कूटर और मोटरसाईकिल वाले फाटक के साईड मे बचे छोटी सी जगह से किसी-किसी तरह पार करके निकल रहे है, कुछ तो फाटक के नीचे से ही मोटरसाईकिल को टेढ़ा-मेढ़ा करके निकल रहे है और पैदल वाले भाग-भाग कर पार कर रहे है। वहाँ मैं भी अपनी साईकिल लेकर खड़ा था। सबको पार करते हुए देखकर मैने भी सोचा कि जब तक रेल नही आ रही है, मैं भी पार कर लूँ। अभी यह सब सोच ही रहा था कि दूर से आती रेलगाड़ी की सीटी सुनाई दी सभी अपनी-अपनी जगह ठिठक गये और पार करने का इरादा बदल दिया। अब कोई पार नही कर रहा था, अब फाटक के दोनो तरफ ही लोगों और गाड़ियों की भीड़ थी बीच में अब सन्नाटा था। जैसे-जैसे रेलगाड़ी नजदीक आ रही थी उसकी सीटी की आवाज भी तेज होने लगी थी। अचानक मैंने देखा कि जल्दी-जल्दी में पीछे से आ रहे एक परिवार के कुछ सदस्य जिसमें दो बच्चे और दो महिलाएँ थी, आगे निकल कर फाटक पार करने की कोशिश करने लगे। देखने वाले लगभग सभी लोग उन्हें पार करने को मना कर रहे थे। “अरे गाड़ी आ रही है … रूक जा .. अरे रूक जा…”। चार में से सभी ने हमलोगो की आवाज को अनसुना कर दिया, और लाईन पार करने लगे, तीन सदस्यों ने तो वो लाईन पार कर ली जिस पर गाड़ी आ रही थी, पर उन चारों में से जो सबसे ज्यादा उम्र और समझदार दिखने वाली महिला अभी पार कर ही रही थी कि गाड़ी और भी करीब आ गई, अंततः वो महिला उस लाईन को पार नहीं कर पाई और द्रूतगति से आ रही गाड़ी के चपेट में आ गई और काफी दूर तक घिसटती हुई चली गई, उसके अंग-प्रत्यंग का कहीं कोई अता-पता नही चल पा रहा था। सिर्फ खून के धब्बे लाईन पर दिखाई पर रहे थे। गाड़ी तो पार कर चुकी अब रोने व चुप कराने का सिलसिला शुरू हो गया। उनके बाकी सदस्यों ने ईश्वर को कोसना और अपने भाग्य पर रोना शुरू कर दिया। कुछ लोगो ने जाम लगा दी, स्टेशन पर पहुँच कर तोड़-फोड़ करने की कोशिश करने लगे… और इसके बाद क्या होता है हर जगह वो आप सभी जानते है। कुछ लोग कह रहे थे कि जिसकी मौत जहाँ लिखी होती है उसे बुला लेता है… । क्या है इन सब का मतलब?
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वो जमाना था जब दूर प्रदेशों में रह रहे अपने लोगो का हाल चाल जानने के लिए चिट्ठी का इस्तेमाल हुआ करता था। बड़े खुश होते थे, जब उन्हें चिट्ठी मिलती थी। जल्दी में सन्देश भेजने के लिए बैरन की सुविधा थी। फिर भी कोई बात नही थी। लोग बैलगाड़ी, तांगे और साईकिल का इस्तेमाल कही आने-जाने के लिए करते थे। और भी जल्दी और दूर जाना हो तो बैलगाड़ी की जगह रेलगाड़ी इस्तेमाल करते थे। फिर भी मामला सही था। बड़े ही आराम से काम होता था। नासमझी नहीं थी, क्योंकि उनके पास इतनी समझ ही नही थी।
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आज तकनीक ने लोगो की इस भागती-दौड़ती जिन्दगी को और भी तेज कर दिया है। लोगो की समझ और तकनीक जिस मात्रा में बढ़ती जा रही है, उसी मात्रा में लोगों के अन्दर नासमझी और एक-दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ भी बढ़ती जा रही है। इस होड़ में नुकसान किसका होता है, इसका अन्दाजा कोई नहीं लगाता। नुकसान जब जिन्दगी और जिन्दगी की खुशियों का होता है तो सिवाय ईश्वर को दोष देकर खुद को बहलाने के सिवा और कुछ उपाय नहीं रह जाता। तकनीक ने इंसान को जीने के लिए जितने ऐशो-आराम और कृत्रिम खुशियों का खजाना दिया है, कभी-कभी इन ऐशो-आराम और खुशियों से घुटन और बेचैनी महसूस होने लगती है। दिक्कत तो तब और भी आती है कि उस घुटन और बेचैनी से निजात पाने के लिए कुछ और भी नई तकनीक के बारे में ही सोचते है।
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आज एक पल में किसी भी खबर या बात को पूरे विश्व में फैलाया जा सकता है, लेकिन लोग और भी भागना चाहते है, अब आधे पल में कैसे पहुँचे उसके बारे में सोचते है। उदाहरण के तौर पर तब लोग तीन-चार दिन या हफ्ता भी खुशी से इंतजार में गुजारते थे कि आज चिट्ठी आयेगी, लेकिन आज अगर मोबाईल से पहली कोशिश में किसी कारण से व्यस्त या नेटवर्क समस्या की वजह से सम्पर्क नही हो पाता है तो अन्दर बेचैनी और क्रोध की शुरूआत होने लगती है। लोग इतने असंयम क्यों होते जा रहे है। लोग एक मुट्ठी वास्तविक खुशी को छोड़कर न जाने किस होड़ में कहाँ भागे जा रहे है, पता नही चलता। इंसानी सोच इतनी विकृत क्यों होती जा रही है।
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उपर्युक्त घटना कोई गढ़ी नही गई है अपितु एक सच्ची घटना है। ये तो मैने देखा है लेकिन ऐसी घटना अक्सर ही सुनने को मिलती रहती है यहाँ। सवाल ये है कि ऐसा क्यों होता है? जानबूझकर कोई क्यों अपनी जिन्दगी काल को सौंपता है?
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मेरे इस लेख का उद्देश्य तकनीक की तौहीन करना नही अपितु लोगो के अन्दर बेकार में उठ रहे बेचैनी और क्रोध पर चोट करना है जिसकी वजह से आज लोगो के अन्दर भागम-भाग हो गई है, जिन्दगी में खुशियों की कमी हो गई है। हर किसी के चेहरे पर मायुसी और मजबूरी में जीने और खुद को घसीटते हुए किसी तरह मौत का इंतजार दिखता है।

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