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आखिरकार कानून मंत्री कपिल सिब्बल को ये सुध आ ही गई कि हत्या, अपहरण और दुष्कर्म सरीखे जघन्य अपराध के आरोपियों को किसी भी कीमत पर चुनाव नहीं लड़ने दिया जाना चाहिए। लेकिन इसमें अभी भी वो “चाहिए” शब्द का इस्तेमाल कर रहे है। ये भी कहते है कि राजनीति से दागियों का सफाया करने के लिए सरकार बिल लाने की तैयारी में है। इतने सालों से कहाँ थे जब नेता जेल से चुनाव जीत कर अपने कुकर्मों को माफ कराने की परम्परा से आज तक मंत्री बनते आये है। अब जब लोकसभा चुनाव सर पे है तो इस बिल का प्रस्ताव देकर कानून मंत्री जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे है।
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और मंत्री ये कह रहे है कि “आरोपियों को…” तो इस देश का कानून आरोपी सिद्ध करने में ही कई साल लगा देता है तब तक तो नेतागण कई पीढ़ियाँ के आबाद होने का इंतजाम कर लेते है। उसके बाद जेल का ही क्या फायदा..? अगर आरोपी सिद्ध होने से पहले ही चुनाव लड़ने का अधिकार रोक दिया गया तो कोई भी एक दूसरे पर आरोप लगा कर उसे चुनाव से वंचित कर सकता है। और आरोप सिद्ध करने के लिए यहाँ बड़ी आसानी से झूठे गवाह और सबूत भी खरीदे जा सकते है। तो कानून मंत्री का ये बयान या फैसला जो भी हो जनता को भ्रमित करने जैसा है।
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“कानून के इस मसौदे को खुद कानून मंत्री ने तैयार किया है, लेकिन अभी तक इसके बारे में अपने सहयोगियों से कोई विचार-विमर्श नहीं किया है और जल्द ही इस मसले पर अपने सहयोगियों से बातचीत करके इसे अंजाम तक पहुँचाने में कामयाब भी होंगे”। ये कहकर कपिल सिब्बल सिर्फ अपने जिम्मेदारियों के प्रति तत्परता दर्शाने की कोशिश कर रहे है और कुछ नही। सबको मालूम है कि ऐसे कानून से देश की जनता को कोई लाभ नही हुआ है।
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और सोचने वाली बात ये है कि इस सरकार ने जितने भी लुभावने बिल की बात की है वो सिर्फ आने वाले चुनाव के नजदीकियों को देखकर, सिर्फ अपने फायदे के लिए। 10 सालों के शासन में क्या सरकार अब तक सो रही थी। अब चुनाव देखकर जगने की सुध आयी है। अब सस्ते अनाज मिलने वाले खाद्य सुरक्षा विधेयक की ही बात करे तो राहुल गाँधी और उनकी माँ सोनिया गाँधी ने तो गरीबो की गरीबी का प्रचार करके अपने विधेयक की होने वाली कमायबी गिनाते फिर रहे है। उन्हें ये बताने की बहुत ही ज्यादा जरूरत है कि विधेयक तो सभी अच्छे ही पारित किए जाते है लेकिन उसे सही तरीके से जनता तक पहुँचने दिया जाये तब न..। राहुल गाँधी को अब इस खाद्य सुरक्षा बिल मे होने वाले घोटाले की भी प्रतीक्षा करनी चाहिए…। इसमें भी एक बड़ा घोटाला होगा और जनता फिर मुँह ताकती रह जाएगी।
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मंत्री सिर्फ समस्या हटाने की ही बात कर रहे है, लेकिन समस्या है कि और भी बढ़ती ही जा रही है। जनता की तकलीफ दिन दूनी रात चौगूनी होती जा रही है। अब प्रधानमंत्री जी को ही ले लीजिए.. चुप रहकर ही वो दुनिया के सबसे शक्तिशाली सिक्ख बन गये है। कहने को तो वो बहुत ही अनुभवी अर्थशास्त्री है लेकिन उनकी जनता से अब सब्जी भी खरीदी नही जाती, लूट कर खाने की स्थिति में आ गये है। ऐसे अर्थशास्त्र और शक्ति किस काम के जो जनता के काम न आ सके..
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