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झारखंड में मोदी अपनी विजय संकल्प रैली के दौरान हेलीकॉप्टर से ही रैली के लिए जाते हुए लोगों की लंबी कतार को देखकर रैली की संकल्पता की विजय पताका लहराते देख रहे थे। अपने भाषण के दौरान भी प्रशंसकों की भीड़ व उनके द्वारा लगाये जा रहे नारे तथा बीच-बीच में किए जा रहे प्रदर्शनों से बाहर से धन्यवाद देना भी नहीं भूल रहे थे, बल्कि अपनी सफलता पर मन-ही-मन गदगद भी हो रहे थे। हमेशा की तरह मोदी अपने राजनीतिक भाषण में झारखंड के विकास में कांग्रेस और केन्द्र सरकार को रोड़ा बताते हुए देश के लिए बोझ ठहराया वही कांग्रेस की नीतियों को निशाना साधते हुए झारखंड को पिछड़ा झारखंड के लिए जिम्मेदार भी बताया।
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उनके भाषणों से ये स्पष्ट हो रहा था कि वो अपने भाषणों की तैयारी उस राज्यों की जनता को भावनात्मक रूप से भी जगाने की कोशिश करने के लिए किस-किस तरह के मुद्दे इकट्ठा करते है। अपने भाषण की शुरूआत मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की धरती को सलाम करके किया, फिर अटल जी द्वारा झारखंड को जन्म देने के लिए शुक्रिया अदा करते हुए उनके लिए विकसित झारखंड के सपने को पूरा करने के लिए कृतसंकल्प दिखाया और लोगो से भाजपा को अवसर देने के लिए प्रार्थना भी की। झारखंड को हुए 13 साल के लिए एक 13 साल के बच्चे से तुलना कर 13 से 18 साल की अवधि को महत्वपूर्ण बताते हुए इस अवधि के लिए भाजपा को चुनने के लिए कहा। 2014 में हो रहे लोकसभा के चुनाव के लिए झारखंड में लोकसभा के 14 सीटों के लिए 2014 में 14 सीटों की तुकबन्दी को जोड़कर 14 सीटों के लिए वोट मांगते दिखे।
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हैरत भरते हुए विपक्षी पार्टियों के नीतियों को तुच्छ साबित करते हुए कहा कि जहाँ कोयला है वहाँ बिजली नही, कोयला घोटाला है। जहाँ इतने सारे प्राकृतिक संसाधन है वहाँ गरीबी है, बच्चे आधे पेट सोते है। जनता द्वारा लगातार चुने जा रहे छत्तीसगढ़ को विकास की नई उँचाईयों को छूते हुए बताकर लगातार भाजपा के प्रति समर्पित होने के लिए कहा।
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कुछ भी हो, ये मोदी भी जानते है कि झारखंड के लिए अकेले काँग्रेस को जिम्मेदार ठहराना कितना उचित है, ऐसा नही है कि झारखंड के लोगो ने भाजपा को मौका न दिया हो, लगभग 8 सालों तक भाजपा ने ही राज किया है झारखंड में। क्या अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए दूसरे की नाकामियों को ही उजागर करना कितना उचित है? मतलब यहाँ सिर्फ काँग्रेस को ही बोझ बताना कितना उचित। आखिर जनता क्या करे..? जनता ने भाजपा को भी चुन कर देख लिया और काँग्रेस को भी, सवाल ये उठता है अब मोदी जी कि जनता अब किसे चुने…? भाजपा को ही क्यों …? और किस उम्मीद से भाजपा को चुने?
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