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आम आदमी पार्टी ने जब दिल्ली के राजनीति में कदम रखा तो उनके सिद्धांतों से एक जन आन्दोलन सा बन गया, परिणाम ये हुआ कि अब ये महसूस हो रहा है कि पूरे देश की राजनीति का परिदृश्य बदलने लगा है, राजनीति के मायने बदलने लगे है। जो खुद को मझे हुए राजनीतिज्ञ बताते थे, वो भी इस आम आदमी पार्टी की राह चलते हुए दिख रहे है, उदाहरणस्वरूप जब केजरीवाल ने सरकारी बंगला लेने से मना कर दिया तो कुछ दूसरे पार्टी के मंत्री भी सरकारी बंगला से इंकार करते दिखे। जब केजरीवाल ने गाड़ी और सुरक्षा के लिए मना कर दिया तो कुछ मंत्री की रैली में गाड़ियों की संख्या कम होने लगी और सुरक्षा के लिए ना-नुकुर करते दिखे। जब केजरीवाल सरकार अपने राज्य में बिजली बिल कम कर दिया तो अन्य राज्य उनके देखा-देखी करती दिखी। जब केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया, तो अब कुछ मंत्री इस राह पर भी उतरने लगे है। केजरीवाल की तरह अब सभी नेताओ के मुँह से भी भ्रष्टाचार का विरोध और आम आदमियों के जरूरतों जैसी बातें निकलने लगी है। भले ही उन्हें भ्रष्टाचार का विरोध दिखाने के लिए अपना सिर ही ओखली में डालना पड़ा हो। वैसे यह राजनीति के लिए शुभ संकेत है कि अब सभी को आम आदमी याद आने लगे है। उनकी पार्टी की सफलता को भ्रष्टाचार सताने लगे है।
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उल्लेखनीय है कि अब तक तो कुछेक राजनेता ही भ्रष्टाचार और आम आदमी की बात करते थे। लेकिन इन दो शब्दों में कितनी ताकत है वो सभी अनुभवी पार्टियों व राजनेताओ को दिल्ली चुनाव परिणाम ने बता दिया है। जिन दो शब्दों की ताकत ने कुछेक नवसिखुओं के दल को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक दे डाला। इसके बाद अब जो मीडिया की तरफ से हो रहा है वो कुछ अशोभनीय सा है, अब मीडिया अरविन्द केजरीवाल के पीछे हाथ धोकर पड़ी है, जबकि इस साल मीडिया की भूमिका भी अहम होने वाली है, मीडिया सिर्फ अपनी टीआरपी ही न देखे, बल्कि सरकार को सहयोग भी करे। अरविन्द केजरीवाल को कुछ समय दे। परेशान न करे। छोटी-छोटी बातों को बड़ा बनाकर उसे तूल देने की कोशिश न करे। जैसे कि केजरीवाल ने कहा था कि 48 घंटों मे 45 रैन बसेरा का निर्माण हो जाएगा। अब मीडिया पीछे पड़ी है कि कहाँ है आपका 45 रैन बसेरा? आप ये देखिए कि इस तरफ कार्य हो रहा है या नहीं.. किस स्तर पर कार्य हो रहा है बस। इसे बेतुके हवा देने की कोई जरूरत नही। जो व्यक्ति आम आदमी की जरूरतों को पूरा करने के बल पर खड़ा है वो काम कैसे नही करेगा? जरूर करेगा, वो किस तरह से कर रहा है आप वो दिखाईये।
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जैसा कि सब जानते है कि अब लोकसभा कुरूक्षेत्र का महाभारत शुरू हो चुका है, सभी दलों द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू चुका है। आम जनता एक दूसरे का मुँह देख रही है। आकलन कर रही है, लेकिन भ्रष्टाचार के आन्दोलन से अब जनता इतनी जागरूक हो गयी है उन पर इन आरोप-प्रत्यारोपों का कोई असर नहीं होने वाला। लेकिन ये निराशाजनक जरूर है कि राजनेता अब भी जनता को इन आरोपों से ही बरगलाने की कोशिश कर रही है। इस दौर में प्रधानमंत्री भी अपने-आप को अलग नहीं साबित कर सके, अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए दूसरे पर छींटाकशी ही की। यही वजह है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी भी अहम भूमिका निभाने वाली है।
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