Menu
blogid : 940 postid : 781370

मोदी की सोच

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
  • 111 Posts
  • 2120 Comments

बंजर भूमि को ऊपजाऊ बनाना आसान नही होता। आसान इसलिए भी नही होता क्योंकि इस कार्य में समय अधिक लगता है, साथ-ही-साथ एक अलग सोच की भी जरूरत होती है, और उस सोच को गैर-परम्परागत तरीके के क्रियान्वित करने में जिस दृढ-संकल्पता की आवश्यकता होती है वह सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसे कार्य को ईमानदारी से वही कर सकता है जो मजबूत इच्छा-शक्ति वाला व्यक्ति हो।

पिछले कुछ वर्षों में देश की जो हालत बनी है वह कोई बंजर भूमि से कम नहीं है। लोग सिर्फ आसमान की तरफ ताकते नजर आ रहे थे, सरकार और प्रशासन पर कोई विश्वास नही था। किंतु अब ऐसा लगने लगा है कि लोगों की नजरें आसमान से जमीन पर आ गई और विश्वास मोदी की सोच पर करने लगे है। मोदी पर विश्वास युँ ही नही है बल्कि पिछले कुछ दिनों में मोदी द्वारा लिए गये जनता के लिए फैसले है। सरकार एक सोच से चलती है और मोदी की सोच के जनता धीरे-धीरे कायल होने लगी है । मोदी के कुछ गैर-परम्परागत कार्य विपक्षी व विरोधी नेताओं के सियासी चक्रव्यूह में भले ही फँस गये हो लेकिन मोदी जिस दृढ़-संकल्पता वाले इंसान है, उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
चाहे मोदी का अपने मंत्रियों से अपने कार्य क्षेत्र में कोई रिश्तेदारों को शामिल न करने के लिए कहना हो या विदेश से काला धन लाने की हिम्मत दिखाना हो। अपने मंत्रियों, सांसदो व अफसरों से सीधे-सीधे बात करके अपने कार्य को ईमानदारी से करने के लिए हौसला बढ़ाने जैसी बात कहना हो या देश की जनता को अपने कार्य के प्रति जागरूक करने जैसी बात, यह मोदी का देश के प्रति ईमानदार सोच को दर्शाता है।
विपक्षी दल अपने नकारात्मक सोच व अपने सियासी लाभ की वजह से अनाप-शनाप बोल कर भले ही मोदी की सकारात्मक सोच को जनता की नजरों से दूर करना चाहते हो, लेकिन धीरे-धीरे ही सही मोदी की सोच के मायने लोगों को समझ में आने लगेंगी।
लाल किले के प्राचीर से एक भावनात्मक सन्देश देकर मोदी जब अपने सांसदो से अपने क्षेत्र में कार्य करने के लिए कहते है, दूसरे देश में बैठे भारतीय वैज्ञानिकों व इंजीनियरों से भारत आकर अपना देश बनाने की बात कहते है, अपने देश के युवाओ को “जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट” वाला प्रोडक्ट बनाकर आत्मनिर्भर व निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित करते है, जापान से अपनी दोस्ती बढ़ाने के लिए अपनी समस्याओ और जरूरतो का एक-दूसरे के प्रति सामंजस्य बिठाते है और वही से विस्तारवाद को छोड़ विकासवाद की तरफ ध्यान देने के लिए अपने पड़ोसी मुल्कों को हिदायत देते है। शिक्षक दिवस हो या कोई और मौका अपने स्कूली बच्चों से बात करना व उन्हें अपने जीवन में ईमानदारी से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते है तो मोदी की सोच देश के प्रति ईमानदार व सच्ची देश–भक्ति दिखाई पड़ती है। जिसे विपक्षी लाख कोशिश कर भी नजरंदाज नही कर सकते।

अब सवाल ये उठता होता है कि मोदी की सोच इसी तरह कब तक कायम रहती है, और उनके मंत्री-गण उनकी सोच पर कब तक चलते है और उसे ईमानदारी से सफल बनाते है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh