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उस कोने भी जलाएँ एक दीप

BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
BHAGWAN BABU 'SHAJAR'
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दीपो की दिवाली में रात उजियाली हर कोई कर लेता है, मिठाईयाँ बाँट कर हर कोई खुशियाँ बाँट लेता है, मुँह मीठा कर लेता है, लक्ष्मी-गणेश की पूजा कर, अपना घर सजा कर लक्ष्मी की आने की मनोकामना हर किसी की रहती है, और इसके लिए हर कोई बहुतेरे टोटके व परम्पराएँ भी निभाते है। हजारों दीप जलाने, विधि-विधान व पूजा करने के बाद भी एक अन्धेरा है जो मिटता नही, दिन-ब-दिन यह अन्धेरा हरेक इंसान को अपने गिरफ्त में लिए जा रहा है। हर तरफ दिया जल रहा है और अन्धेरा भी हर तरफ कायम है। हर तरफ अपने-अपने धर्म के व्रत व परम्पराएँ निभाए जा रहे है। घी के धूप-दिये जलाकर लोग वातावरण को सुगन्धित कर रहे है लेकिन अधर्मों का वातावरण, अधर्मों का दुर्गन्ध घी के धूप-दिए के सुगन्ध से कही ज्यादा फैल रहे है । दिये की रोशनी कम हो गई है या अन्धकार की ताकत बढ़ गई है। रोशनी अन्धकार को भगाता है, पर ये अन्धकार और भी घनीभूत क्यों हो रहा है? धर्म हमें प्रेम सिखाता है लेकिन ईर्ष्या और घृणा क्यों बढ़ रहा है। धर्म कमजोर हो गया है या अधर्म मजबूत?
मिट्टी के दिये, घी के दिये, धर्म के परम्पराये, पूजा-पाठ, विधि-विधान, हमे प्रेम नही सिखा सकते, हमारे चारों ओर भाईचारे नही फैला सकते, आपसी मतभेद नही मिटा सकते। और जब तक हम प्रेम में जीना न सकते तब तक धर्म के इन परम्पराओं का कोई अर्थ नही। जब तक मन के अन्धेरे में एक दिया न जलाया तब तक बाहर के हजारों दिये भी रोशनी फैला कर सिवाए एक रस्म निभाने के और कुछ नही कर सकते।
हमें मन के उस कोने में हजार नहीं बस एक दिया जलाना है जहाँ सदियों से अन्धेरा है, जो सन्देह के घेरे में है। प्रेम उस कालिख भरे कोठरे में दबा पड़ा है हमें उसे जगाना है। जहाँ ईर्ष्या और द्वेष का कूड़ा-कचड़ा भरा पड़ा है हमें उस गन्दगी को साफ करना है। एक-दूसरे के प्रति भेद-भाव और शंकाओ को मिटाना है। बस सिर्फ एक मन को साफ करना है और सब साफ हो जाएगा, रोशनी ही रोशनी होगी। प्रेम की झिलमिलाती-जगमगाती घर की खिड़कियों पर झालर होगी जो किसी बिजली से नही, अपितु प्रेम से जगमगायेगा। मुँह मीठा करने को किसी मिठाई की नही अपितु एक मीठे बोल की आवश्यकता होगी और चारो तरफ भाईचारा फैल जायेगा। कहीं कोई भेद-भाव और किसी तरह की कोई दूरियाँ न होगी। साम्प्रदायिक जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर कोई भी व्यापारी मोल-भाव नही कर पायेंगे।
आईये इस दिवाली एक दीप अपने मन में जलाये, अन्धेरा व बुरी प्रवृतियाँ दूर भगाये, प्रेम फैलाये, आपसी सौहार्द बढ़ाये। देश का मान बढ़ाये। उन दुश्मनों को सबक सिखाये जो हमारे युवाओ को भ्रमित कर गलत रास्ते पर ढ़केलते है ।
!! शुभ दीपावली !!

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